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एंग्जायटी/चिंता (Anxiety) के कारण, पहचान, प्रकार, और उपचार

एंग्जायटी/चिंता (Anxiety) के कारण, पहचान, प्रकार, और उपचार

एंग्जायटी आजकल बहुत आम समस्या है  इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे इसके लक्षण, इसक...

एंग्जायटी/चिंता (anxiety/stress) आजकल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दी में आम समस्या है। यह एक मानसिक रोग है जो मस्तिष्क के साथ साथ शरीर को भी नुकसान पंहुचा सकता है।एंग्जायटी अटैक (anxiety attack) के दौरान आपको तेज़ बेचैनी, चिंता, दर और नकारात्मक विचार आना, दिल की धड़कन तेज़ होना  पसीना आना जैसा आभास होता है। एंग्जायटी अटैक या चिंता का दौरा कई कारणों से आ सकता है जैसे की अगर कोई बुरी ख़राब आयी हो।यह एक बीमारी तब तक नहीं है जब तक यह स्थायी रूप न ले।

एंग्जायटी के लक्षण

चिंता या एंग्जायटी के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं 

  • नींद न आने की समस्या (unable to sleep)
  • हाथ पैर ठंडे पड़ना (cold feet and arms)
  • पसीने आना (sweating)
  • मुँह सूखना (dry mouth)
  • मन मिचलाना (anxious)
  • कपकपाना (trembling)
  • सीने में दर्द (pain in chest)
  • बेचैनी होना (restlessness)
  • घबराहट होना (nervousness)
  • शरीर में झनझनाहट महसूस होना (tingling sensation in body)
  • सांस लेने में तकलीफ होना (difficulty breathing)
  • मांसपेशियों में तनाव होना (stiff muscles)
  • दिल की धड़कन तेज़ महसूस होना 
  • दिल की धड़कन सुनाई देना (पाल्पिटेशन) (palpitations)

एंग्जायटी डिसऑर्डर/चिंता विकार के लक्षण

  • नींद न आना (insomnia)
  • शांत या स्थिर रहने में कठिनाई होना (unable to keep calm)
  • बार बार कोई व्यवहार दोहराना या अनुष्ठानिक व्यवहार, (रिचुअलिस्टिकबिहेवियर)(ritualistic behaviour)
  • डर लगना (fear)
  • बेचैनी होना (anxiety)
  • सपने बुरे आना (bad dreams)
  • ध्यान एक जगह न लगा पाना (unable to focus)
  • बार बार दर्दनाक अनुभव होना 

चिंता और विकार के बीच में अंतर क्या है?

चिंता,तनाव किसी डर से सम्बन्धी हो सकते हैं । यह अनुभव का एक स्वाभाविक हिस्सा है और यह व्यक्ति-दर-व्यक्ति अलग अलग हो सकता है । चिंता जब ज़्यादा हो और लम्बे समय तक बनी रहे तो यह एक विकार का रूप लेती है और जीवन में महत्वपूर्ण रूप से बधा बन सकती है।

सामान्य चिंता और चिंता विकार के बीच अंतर निचे दिए गए हैं-

  • सामान्य चिंता (Normal Stress) तनाव या चिंता की भावनाएँ किसी स्तिथि या भावना या समस्या से जुडी हो सकती हैं। समस्या हल होने के बाद सामान्य चिंता अपने आप ख़त्म हो जाती है।
  • लेकिन चिंता विकार (Anxiety Disorder) किसी विशिष्ट स्थिति से सीधे संबंधित नहीं होता, यह ऐसी स्थिति है जिसमें चिंता या भय अत्यधिक और एक विस्तारित अवधि (आमतौर पर छह महीने या अधिक) तक रह सकता है ।

चिंता विकार/एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार 

चिंता विकार के कई प्रकार हो सकते हैं  कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं 

  • जनरलाइज़्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर (जी.ए.डी.)/सामान्यकृत चिंता विकार (Generalised Anxiety Disorder/Normal Anxiety Disorder) - यह विकार सामान्य चिंता जैसे की काम, स्वास्थ्य,परिवार संबंधी आदि कारणों से हो सकता है। इस प्रकार के विकार का निदान जब व्यक्ति क कम से कम 6 महीने से यह विकार हो तब ही डायग्नोस्टिक/निदान हो सकता है।
  • पोस्ट-ट्रौमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)- जब कोई व्यक्ति किसी विशेष तनावपूर्ण स्तिथि से गुजरता है जैसे की हमला होना, दुखद दुर्घटना होना, युद्ध क्षेत्र से बचकर वापस आना, या किसी प्राकृतिक आपदा का आना  तब उसे यह चिंता विकार हो सकता है।
  • अलग होने की चिंता (Separation Anxiety)- इस विकार में व्यक्ति को अपने परिजन जैसे की माता-पिता से अलग होना का भय होता है। यह ज़्यादातर बच्चो में होता है। इस स्तिथि में बच्चों को भय रहता है की वे माता पिता से अलग हो जायेंगे। 
  • फोबिया/भय (phobia/fear) - इस स्तिथि में व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय हो सकता है जैसे की छिपकली से, मकड़ी से, ऊंचाई से, इंजेक्शन से,या किसी अन्य सामाजिक स्तिथियों से भी डर लग सकता है। इसमें अक्सर सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर भी हो सकता हैजिसमे व्यक्ति को भीड़भाड़ वाली जगहों से डॉ लगता है।
  • पैनिक डिसऑर्डर या घबराहट की समस्या (panic disorder/anxiety problem)- यह पैनिक डिसऑर्डर भी कहलाता है  यह एक चिंता विकार का ही प्रकार है।अक्सर लोग एंग्जायटी अटैक और पैनिक अटैक में अंतर नहीं समझते लेकिन दोनों विभिन्न विकार हैं। पैनिक अटैक में व्यक्ति को एकदम से कभी भी ड़र की स्तिथि आ सकती है जबकि एंग्जायटी अटैक लम्बे समय से चलती आरही चिंता के कारण होता है। पैनिक डिसऑर्डर से प्रभावित व्यक्तियों को अक्सर यह चिंता रहती है कि अगलेमें उन्हें कैसा अनुभव होगा और अगला हमला कब होगा।

एंग्जाइटी के कारण क्या है?

  • ज़्यादा चिंता करने लगना

आप की जिंदगी में बार बार छोटी सी छोटी बातों को ज़्यादा सोचनाएंग्जायटी (Anxiety) का ही लक्षण हो सकता है। इसकी वजह से आप महत्वपूर्ण कामों को अच्छे से नहीं कर पाते हैं ।

  • तनावपूर्ण घटनाएं 

आपकी ज़िंदगी में अविश्वसनीय घटनाएँ होना आदि जैसे की कार्य का बोझ, तनाव, अपने किसी प्रिय व्यक्ति का निधन अथवा प्रेमिका से ब्रेकअप आपको एंग्जायटी विकार कर सकता है।

  •  परिवार का इतिहास

यदि आपके परिवार में मानसिक विकार से जुड़ी समस्याएँ किसी को रही हैं, तो आपको चिंता विकार की समस्या होने की सम्भावना हो सकती है जैसे ओसीडी विकार।

  • स्वास्थ्य से जुड़े मामले

जो व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहा हो, थायरॉयड की बीमारी, दमा, डायबिटीज या हृदय रोग आदि से पीड़ित लोग भी एंग्जायटी (Anxiety) की चपेट में आ सकते हैं। जो व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहा हो, उसकी काम करने की क्षमतामें गिरावट आने लगती है। इससे एंग्जायटी (Anxiety) का जन्म होता है और फिर कामकाज से जुड़ा तनाव बढ़ने लगता है ।

  • नशे का इस्तेमाल

बहुत से लोग शराब, नशीली दवाओं और दूसरे नशों का सहारा लेने लगते हैं ताकि पीड़ा, ग़म, मायूसी, उदासी व तकलीफ़ को भुल सकें । ये चीज़ें एंग्जायटी (Anxiety) का इलाज नहीं कर सकती बल्कि नशे का इस्तेमाल एंग्जायटी संबंधी समस्याओं को और बढ़ा देता है। नशे का असर खत्म होते ही फिर से वही परेशानियां बढ़ने लगती हैं। 

  • व्यक्तिव से जुड़े विकार 

कुछ लोगों को उत्तमता के साथ काम करना चाहते हैं लेकिन जब ये उत्तमता हासिल करने की जिद सनक बन जाए तो ये एंग्जायटी (Anxiety) हो जाती है । यह आदत उन्मेंघबराहट और चिंता को जन्म देती है।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इलाज

एंग्जाइटी डिसऑर्डर काइलाज किया जा सकता है । लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए । अगर कोई भी लक्षण नज़र आए तो तुरंत ही आपको अपने डॉक्टरी से सलाह लेनी चाहिए और इलाज के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डिप्रैशन या एंग्जाइटी का इलाज दवा और काउंसलिंग से किया जा सकता है या मिले-जुले इस्तेमाल से किया जा सकता है ।

  • साइकोथेरेपी (Psychotherapy)

आप साइकोथेरेपी से एंग्जायटी का इलाज करवा सकते हैं। साइकोथैरेपी एंग्जाइटी को दूर करने में बहुत कारगर हो सकती है।मन पर नियंत्रण करना इस थैरेपी के माध्यम से सिखाया जाता है।

  • कभी रोगी को अकेला न छोड़ें

आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप जो व्यक्ति एंग्जाइटी या डिप्रैशन से जूझ रहा हैउसे अकेला न छोड़ें। एंग्जायटी से जूझ रहे व्यक्ति को पूरी नींद लेनी चाहिए क्योंकि आधी-अधूरी नींद भी एंग्जाइटी का कारण बन सकती है।

  • स्वस्थ आहार खाएं

आपको ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिसमे ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फैट शामिल हों । इसके अलावा भोजन नियमित समय पर करना और भर पेट खाना चाहिए कभी भी भोजन न छोड़ें। ज़्यादा तर बाहर का भोजन, जैसे तले हुए भोजन को खाने से परहेज़ करना चाहिए। 

  • भोजन करने का एक समय बनाएं

यदि आपको किसी भी वक्त भोजन करने की आदत है तो आपको इसे बदलना चाहिए और भोजन करने का समय बांध लेना चाहिए। बिना समय के भोजन करना असरमानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है जिनमे से एक बीमारी एंग्जाइटी भी है, इसलिए भोजन से समझौता न करें और समय पर ही भोजन करें।

  • संगीत सुनें

गाने सुनने से स्ट्रैस को कम किया जा सकता है और बिलकुलखत्म भी किया जा सकता है । संगीतब्‍लड़ प्रेशर, हार्ट रेट और तनाव को दूर करता है इसलिए यदि आपको एंग्जाइटी या डिप्रैशन महसूस हो, तब आपको अपने पसंद के संगीत सुनने चाहिए ।

  • व्यायाम अवश्य करें

रोज़ यदि आप सिर्फ30 मिनट व्यायाम या एक्सरसाइजकरें हो भी आपको एंग्जायटी या डिप्रेशन से छुटकारा मिल सकता है । आप दिनचर्या में सुबह और शाम सैर करना शामिल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

आज कल एंग्जाइटी डिसऑर्डरएक आम समस्याहै और इस समस्या का सबसे बेहतर तरीका दिनचर्या में बद्लावौर रोकथाम है न कि इलाज ।एंग्जाइटी डिसऑर्डर का पता नहीं चल पाना इसकी सबसे गंभीर समस्या है।यह पता लगाना मुश्किल है की आपको एंग्जायटीकिस स्टेज पर है और कितने समय से है  इसकीगंभीरता का पता लगाना भी मुश्किल हो सकता है, इसलिए इसके लक्षणों को लेकर जागरुक रहें और अगर कुछ महसूस हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।