एचपीएलसी का उपयोग थैलेसीमिया (Thalessemia) नामक वंशानुगत रक्त विकार का पता लगाने के लिए किया...
एचपीएलसी टेस्ट क्या है? (What is HPLC Test in Hindi?)
एचपीएलसी परीक्षण का मतलब है हाई-परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी टेस्ट (HPLC test) एक उन्नत क्रोमैटोग्राफी तकनीक है जो मिश्रण में रासायनिक यौगिकों को अलग करने के लिए दबाव संचालित प्रवाह का उपयोग करती है।
एचपीएलसी का उपयोग थैलेसीमिया (Thalessemia) नामक वंशानुगत रक्त विकार का पता लगाने के लिए किया जा सकता है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) नष्ट हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त में हीमोग्लोबिन(Hemoglobin) का स्तर कम हो जाता है।
थैलेसीमिया के क्या कारण हैं? (What Are the Causes of Thalassemia In Hindi?)
थैलेसीमिया(Thalessemia) एक ऐसी बीमारी है जो रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को प्रभावित करती है। यह एक आनुवंशिक विकार है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है, इसके संभावित कारण हैं
- आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic mutation): हीमोग्लोबिन के अल्फा और बीटा जीन में उत्परिवर्तन हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन उत्पादन को प्रभावित कर सकता है जो थैलेसीमिया का मुख्य कारण है
- दोषपूर्ण जीन (Faulty gene): यदि किसी बच्चे को माता-पिता दोनों से दोषपूर्ण(faulty) जीन विरासत में मिलता है तो उसके शरीर में थैलेसीमिया होने की संभावना अधिक होगी
थैलेसीमिया के विभिन्न प्रकार क्या हैं? (What Are the Different Types of Thalessemia in Hindi?)
थैलेसीमिया के प्रकार इस प्रकार हैं-
- अल्फा थैलेसीमिया(Alpha Thalessemia): अल्फा थैलेसीमिया तब होता है जब किसी व्यक्ति का शरीर अल्फा-ग्लोबिन(Alpha globin) नामक प्रोटीन बनाने में असमर्थ होता है, यह जीन के इस विशेष सेट में आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण हो सकता है जो अल्फा ग्लोब्युलिन के उत्पादन में बाधा उत्पन्न कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप हीमोग्लोबिन असामान्यताएं होती हैं
- अल्फा थैलेसीमिया माइनर(Alpha Thalessemia Minor): यदि किसी व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन उत्पादन के लिए जिम्मेदार तीन जीन नहीं हैं, तो यह हीमोग्लोबिन एच(Hemoglobin H) नामक बीमारी का कारण बन जाता है।
- बीटा थैलेसीमिया(Beta Thalessemia): यह तब होता है जब हमारा शरीर बीटा-ग्लोबिन(Beta globin) नामक प्रोटीन बनाने में असमर्थ होता है। जो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन उत्पादन को प्रभावित करता है
इसमें एक जीन की अनुपस्थिति थैलेसीमिया माइनर का कारण बनती है। जबकि दोनों जीन की अनुपस्थिति एक गंभीर बीमारी का कारण बनती है, जिसे हम बीटा-थैलेसीमिया के रूप में जानते हैं।
थैलेसीमिया की जांच किसे करवानी चाहिए? (Who Should Go for the Thalassemia Test in Hindi?)
- 18-25 वर्ष से अधिक आयु के लोग(People over 18-25 age )
- नवविवाहित जोड़े जो परिवार की योजना बना रहे हैं(Newly married couples who are planning for a family)
- तीन महीने की गर्भवती महिलाएँ(Three months pregnant women)
- थैलेसीमिया का पारिवारिक इतिहास(Family history of thalessemia)
- एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति(Person with anaemia)
थैलेसीमिया के लक्षण क्या हैं?(What Are the Symptoms That Call for Thalassemia in Hindi?)
थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों में होने वाले सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सीने में दर्द(Chest pain)
- सांस लेने में कठिनाई(difficulty in breathing)
- अनियमित दिल की धड़कन(irregular heartbeat)
- बच्चों के नाखून और जीभ का पीला पड़ना(Yellowing of nails and tongue of children)
- अत्यधिक थकान(Excessive fatigue)
- भूख न लगना और चक्कर आना(Loss of appetite & dizziness)
- हड्डियों की समस्याएँ(Bone problems)
- बढ़ा हुआ लीवर(Enlarged liver)
- लगातार कमज़ोरी और थकान(Persistent weakness and fatigue, )
- मांसपेशियों में दर्द(muscle pain)
यदि आपको 2 दिनों से अधिक समय तक लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
थैलेसीमिया के संभावित उपचार क्या हैं? (What Are the Possible Treatments for Thalessemia)
थैलेसीमिया का इलाज स्वस्थ जीवनशैली और अच्छी खान-पान की आदतों को अपनाकर किया जा सकता है, नीचे कुछ उपचार बताए गए हैं
- रक्त आधान अपनाएँ(Blood transfusion): थैलेसीमिया के रोगियों को हर 10 से 15 दिन में रक्त आधान करवाना पड़ता है। हालाँकि, थैलेसीमिया के रोगियों में उम्र के साथ रक्त की ज़रूरत बढ़ जाती है।
- अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण(Bone marrow transplantation):अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण(Bone marrow) या हेमटोपोइएटिक(Haematopoetic) कोशिका प्रत्यारोपण में, दाता से ली गई स्वस्थ कोशिकाओं को रोगी में इंजेक्ट किया जाता है, कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी भी दी जाती है
- स्वस्थ आहार(Healthy diet): प्रोटीन और विटामिन से भरपूर स्वस्थ आहार अपनाएँ जो आपके स्वास्थ्य और फिटनेस को बेहतर बनाने में आपकी मदद कर सकता है, फोलिक एसिड(Folic acid) जैसे सप्लीमेंट आपको स्वस्थ आरबीसी(RBC) बनाने में मदद कर सकते हैं
- लुस्पेटरसेप्ट(Luspetersept): यह एक इंजेक्शन है जो हर तीन सप्ताह में दिया जाता है। यह इंजेक्शन शरीर को अधिक लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद कर सकता है।
क्या थैलेसीमिया को रोका जा सकता है? (Can Thalassemia Be Prevented in Hindi?)
थैलेसीमिया को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह एक आनुवंशिक विकार है, लेकिन यहाँ कुछ टेस्ट दिए गए हैं जो आपको इस स्थिति का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
- एचपीएलसी टेस्ट (HPLC test)
- पूर्ण रक्त गणना (CBC test )
- हीमोग्लोबिन वैद्युतकणसंचलन (Hemoglobin electrophoresis)
- आनुवंशिक टेस्ट (Genetic Testing)
गणेश डायग्नोस्टिक्स की ओर से एक नोट (A Note From Ganesh Diagnostics)
थैलेसीमिया एक आम स्थिति है जो रक्त आनुवंशिक विकार को इंगित करती है। यदि आपको तुरंत उपचार मिल जाए, तो आपके पूरी तरह ठीक होने की संभावना बहुत अधिक है। यदि आपको थैलेसीमिया के लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। किसी अच्छे डायग्नोस्टिक सेंटर से सर्वोत्तम देखभाल और उपचार प्राप्त करें और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएँ।