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ट्यूबरक्लोसिस (टी-बी) क्या है - कारण, लक्षण और बचाव।

ट्यूबरक्लोसिस (टी-बी) क्या है - कारण, लक्षण और बचाव।

ट्यूबरक्लोसिस (टी-बी) एक गंभीर समस्या है जो हवा के जरिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति...

ट्यूबरक्लोसिस (टी-बी), तपेदिक, क्षयरोग या यक्ष्मा एक गंभीर समस्या है जो हवा के जरिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यह माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से होती है। आमतौर पर टी बी T.B फेफड़ो में होता है लेकिन टूबर्क्युलसिस इन्फेक्शन शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित करता है जैसे मास्तिकष, गुर्दे, जिगर और रीढ़ को भी प्रभावित करता है। 

T.B ( ट्यूबरक्लोसिस) से लड़ने के लिए जागरूकता होना बहुत ज़रूरी हैं। टीबी से पीड़ित व्यक्ति के लिए जागरूक और सकारात्मक रहना महत्वपूर्ण है और इससे आपको टी-बी के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी।

भारतीय इतिहास में टीबी का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों और वेदों में श्रेय रोग के रूप में किया गया है।

ट्यूबरक्लोसिस कैसे होता है (Causes of Tuberculosis) 

ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया साँस के माध्यम से फेफड़ो में जाता है और शरीर को नुकसान पहुँचता है। T.B की समस्या FLU या कोल्ड की तरह फैलता है। टीबी बैक्टीरिया रोगी के खांसने और छींकने से हवा में फेलता है।

टूबर्क्युलॉइस के लक्षण (Symptoms of Tuberculosis)

अगर किसी वयक्ति को यह लक्षण दिखते है तो वो तुरंत अपनी जाँच करवाए: 

ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण यह है:- 

  • तीन सप्ताह से ज्यादा खासी होना
  • साँस लेने में परशानी होना
  • साँस फूलना
  • अचानक से वजन कम होना
  • भूख न लगना
  • छाती में दर्द होना
  • रात में पसीना आना
  • खासते समय बलगम या खून आना
  • बुखार और ठण्ड लगना
  • बहुत कमजोरी होना

यदि टी.बी. शरीर के अन्यभागो में होता है तो उनके लक्षण अलग होते है।

रोगी को लक्षणो का ध्यान देना बहुत ज़रूरी है जिससे की ट्यूबरक्लोसिस का बचाव सही समय पर हो सके।

दिमाग की टी.बी. को Tuberculous Meningitis या Brain TB बोला जाता है। यदि टी.बी. मेनिंगीज (Brain Meningies) तक फेल जाता है तो व्यक्ति की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। 

टी.बी मैनिंजाइटिस मस्तिक्ष की को सक्रमित करता है जिसकी वजह से व्यक्ति की मस्तिक स्तिथि में परिवर्तन आ जाता है। Brain TB के लक्षण- उल्टी होना, सरदर्द, Photophobia (प्रकाश की असहनीयता) एवं गर्दन का अकड़ना।

एक्स्ट्रा पल्मोनरी फैलने पर निमिन्लिखित समस्याए पैदा हो सकती है

  • लकवा लगना
  • पेट में दर्द होना
  • LYMPH node (लसिका पर्व) में सूजन
  • कमर में अकड़न 
  • ब्रह्म होना
  • सर में हर समय दर्द रहना
  • डायरिया
  • कोमा 
  • दौरा पड़ना

ट्यूबरक्लोसिस कई प्रकार के होते है जिनका जाँच करने के बाद पता चलता है और उसके अनुसार इलाज होता है।

टी. बी की कितनी स्टेज होती है ?

टी- बी के 3 स्टेजेस होते है -

  1. एक्सपोज़र 
  2. लटेंट स्टेज
  3. एक्टिव स्टेज 

पहली स्टेज (First Stage of TB )

इस स्टेज में व्यक्ति पहली बार बैक्टीरिया से संक्रमित होता है। मनुष्यो में ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया की परस्पर क्रिया टीबी से पीड़ित व्यक्ति के संक्रमित एयरोसोल के साँस लेने से होती है। 

दूसरी स्टेज (Second Stage of TB )

यह वह चरण है जब किसी व्यक्ति के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया तो होते हैं लेकिन बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं। टीबी का जीवाणु जीवन भर एक निष्क्रिय अवस्था में एक व्यक्ति के शरीर में रहता है।

ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित व्यक्ति बिना किसी लक्षण के दूसरे व्यक्ति को संकर्मित कर सकता है

तीसरी स्टेज (Third Stage or Last Stage of TB)

इस चरण में व्यक्ति में लक्षण विकसित होते हैं। इस स्टेज में ट्यूबरक्लोसिस बीमारी शरीर के दूसरे अंगो तक फेल जाती है।

टीबी कितने प्रकार के होते है।

ट्यूबरक्लोसिस को अन्य दो भागो में बाटा जा सकता है-

Pulmonary TB (पल्मोनरी टी.बी)

Pleural TB यह आमतौर पर किसी व्यक्ति की बीमारियों से लड़ने की ताकत पर निर्भर करता है।

प्लेउराल टी.बी दूसरा सबसे आम ट्यूबरक्लोसिस है।

इसकी जाँच खून का परीक्षरण (blood test ) और रेडियोलॉजी परीक्षणों ( Radiology examination) की सहायता से किया जा सकता है। इसके अलावा रोगी को एचआईवी परीक्षण (HIV Test) की आवश्यकता होती है। 

Extra pulmonary (एक्स्ट्रा पुलमोनरत टीबी)

एक्स्ट्रा- पल्मोनरी टी-बी के प्रकार-

  • TB of upper airways/ साँस की नली में टी.बी
  • Genitourinary TB
  • Skeletal टी-बी/ हड्डियों में टी-बी
  • Tuberculous मैनिंजाइटिस/दिमाग में टी-बी
  • Gastrointestinal टी-बी/पेट में टी-बी
  • Pericardial टी-बी/ह्रदय में टी-बी
  • Millary or Disseminated TB
  • Tuberculous otitis- कान में टी-बी
  • TB Nasopharynx
  • Oral टी-बी / मुँह का टी- बी
  • Congenital TB/ जन्मजात टी-बी

Multi resistance Tuberculosis / MDR-TB

Drug resistance TB

इस व्यक्ति का त्वचा परीक्षण (Skin Test) या रक्त परीक्षण (Blood Test), सकारात्मक छाती एक्स-रे (Chest - X-ray), बायोप्सी या सक्रिय संक्रमण दिखाने वाला कोई अन्य परिणाम सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है।

क्षय रोग (टीबी) का कैसे पता लगया जा सकता है ?

रोगी की समस्या का और शारीरिक परीक्षण से ट्यूबरक्लोसिस का पता लगाया जा सकता है। ट्यूबरक्लोसिस की पुष्टि करने के लिए बहुत प्रकार की जाँच की जा सकती है- खून की जाँच (Blood Test), बलगम की जाँच (Sputum), एक्स -रे ( X-ray chest ), सी.टी. स्कैन (CT scan) और ऍम.आर.आई (MRI).

टी-बी का मूल्यांकन करने के लिए के लिए यह परीक्षण किये जाते है -

  • Tuberculin test
  • AFB test
  • Blood culture test
  • Culture Mycobacterium Atypical Non-Tuberculous Mycobacterium-NTM
  • X-ray chest
  • Ultrasound
  • CT
  • CECT
  • HRCT
  • MRI
  • Polymerase chain reaction (PCR) for tuberculosis
  • Histopathologic examination
  • Ancillary diagnostic tests
  • HAINS Mycobacterium Tuberculosis First & Second Line Drug Resistance Profile 
  • Smear test 
  • Mantoux test
  • FNAC
  • Biopsy

टी-बी का इलाज?

एक्टिव टी-बी का इलाज दवाइयों द्वारा किया जा सकता है। ट्यूबरक्लोसिस की दवाई 3 महीने या उससे ज़्यादा दिनों तक लेनी होती है। अगर किसी रोगी को किसी एक दवाई से रेजिस्टेंस पैदा होजाता है तो उसकी जाँच कराकर दवाई डॉक्टर द्वारा बदली जाती है। पूरी दवाई होने के कुछ दिन डॉक्टर प्रिवेंटिव थेरेपी पर रखता है इसीलिए रोगी को खुद से कभी दवाई नहीं रोकनी चाहिए। जब रोगी की हालत ज्यादा ख़राब होती है तो उन्हें होस्पियटल में भर्ती होना पड़ सकता है।

क्षय रोग टीकाकरण/टी-बी का टिकाकरण/TB Vaccine

बी.सी.जी वक्सीनशन - बैसिलि कैल्मेट-गुएरिन वैक्सीन का उपयोग T.B के खिलाफ किया जाता है। बी.सी.जी का टीका बच्चों को दिया जाने वाला एक इंजेक्शन है जो टीबी से लड़ने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने में मदद करता है।

टी-बी एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है और बीसीजी टीका एक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में काम करता है और व्यक्ति को गंभीर टीबी होने से बचाता है।

टीबी का टीका लगवाने का सबसे अच्छा समय बच्चों के जन्म के कुछ दिनों के भीतर और 6 महीने तक है, या उन्हें 5 साल तक किसी भी समय टीका लगाया जा सकता है।

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