थायराइड को ऐसी बीमारी माना गया है जो आज दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रही है। आज हर कोई...
थायराइड को ऐसी बीमारी माना गया है जो आज दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रही है। आज हर कोई चाहे महिला हो या पुरुष, सभी इसका शिकार हो रहे हैं। ये समझना जरूरी है कि ये बदला क्यों होता है? यह हमारी बीमारी के विपरीत संबंध या तनाव के कारण भी बन जाता है। महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक बदलाव भी आते हैं और इसके कारण भी ये बीमारी हो सकती है। जब आपके शरीर में आयोडीन की कमी हो जाए तो यह रोग हो जाएगा। ये भी देखा गया है आयुर्वेद के भी वात, ये है पित्त, कफ के कारण थायराइड संबंधी रोग आपको हो सकता है।
अगर पुरुषों की तुलना में देखा जाए तो महिलाओं और बुजुर्गों को समस्या होने की समस्या अधिक रहती है। ये देखा है कि दुनिया में हर 8 में से 1 महिला को थायराइड के लक्षण होंगे। 60% महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो थायराइड से पीड़ित होती हैं और इसके लक्षण से अनभिज्ञ रहेंगी। आज इसी प्रकार से थायराइड की बीमारी के बारे में चर्चा होगी।
थायरॉइड क्या है? (What is Thyroid in Hindi?)
थायरॉइड ग्रंथि को एक अवटु ग्रंथि से भी मना किया जाता है। अवटु या थायरॉयड ग्रंथि मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतास्राव ग्रंथि में से एक होगा।
यह आपके द्विपिंडक रचना में हमारे गले में जो स्वरयंत्र के नीचे क्रिकॉइड कार्टिलेज है, उसके लगभग समान स्तर पर स्थित होता है। शरीर की भिचायपचय क्रिया में भी थायर मैरीटाइम ग्रंथी का एक विशेष योगदान रहता है।
यह आपकी थायरॉइड ग्रंथि ट्राई-आयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोकैल्सीटोनिन (T4) और TSH नामक हार्मोन का स्राव करती है। ये हमारे शरीर के हार्मोन्स में नारियल दर भी अन्य विकास तंत्रों का प्रभाव डालते हैं। हमारे शरीर में भी थायराइड हार्मोन की गति को नियंत्रित कर दिया जाता है।
थायराइड के प्रकार (Types of Thyroid)
थायराइड के दो है जिनको कहते हैं हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड। दोनों में ही जो आपकी समस्या है वो अलग-अलग प्रकार की देखी गई है और दोनों की अवस्थाओं में भी अलग-अलग प्रकार की समस्याएं हैं। इन दोनों में थाइरॉयड के भी लक्षण अलग-अलग दिख गए हैं।
हाइपरथायराइड (Hyperthyroidism) - हाइपरथायराइड ग्रेव्स रोग का एक बड़ा कारण है। जिसमें आयुर्वेदिक ग्रंथ बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं और आपके हार्मोन्स का जो प्रोडक्शन है वो सबसे ज्यादा करने लगता है। इसका कारण यह भी है कि घेंघा रोग में आपके गुर्दे के ग्रंथी का भी आकार बढ़ जाता है। इसके अलावा इसमे नोड्यूल्स के कारण भी यह स्थिति पैदा होगी। कुछ मामलों में आपके प्रिय का मात्रा भी अधिक सेवन हो सकता है। इस स्थिति के लिए आप जिम्मेदार भी हो सकते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) -जो आज कल इंसान में हो जाने वाले रोग की भी स्थिति रहेगी जो आपके थायरायड के हार्मोन के उत्पादन का भी कारण बनता है।
जब आपके शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है तो आयोडीन की कमी भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी वर्ष लगभग महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद भी प्रभावित किया जाता है। स्नातक ये भी होता है कि धीरे-धीरे स्नातक में मन जाएगा।
महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण के देखे गए हैं, उनके लक्षणों के बारे में आप नीचे लेख में कारण और उपचार भी पढ़ेंगे।
थायराइड के लक्षण ( Thyroid Symptoms in Hindi)
- मांसपेशियों में दर्द ( Muscle Pain)
- नींद के Pattern में बदलाव होना
- वजन बढ़ना या फिर वज़न बहुत कम होना
- जनन समस्या ( Reproductive Issues)
- असामान्य माहवारी ( Irregular Periods)
- नाखूनों की खराबी ( Irregular Nails)
- रूखी त्वचा ( Rough Skin)
- हृदय गति कम होना और धड़कन तेज़ चलना
- थकान ( Fatigue)
- हाथ कांपना
- अधिक ठंड और ज़्यादा गर्म लगना
- चेहरे की सूजन ( Face Inflammation)
- अधिक मल त्याग होना
- बाल ठीक और ना होना
महिलाओं में Thyroid का प्रभाव ( Thyroid Symptoms in Women)
हमारी इंडस्ट्री की बीमारी से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इसका कारण कुछ इस प्रकार है:
- अवधियों संबंधी परेशानी
- गर्भधारण में परेशानी
- गर्भावस्था के समय समस्या( Problem during Pregnancy)
- बाल कम् होना ( Loss of Hair)
- बीएमआई में वजन ना रहना ( Weight outside BMI Range)
थायरॉइड के कारण (Causes of Thyroid )
आयोडीन की कमी होने के कारण आयोडीन की भी समस्या है, लेकिन आज कल के हाल ही में इसके उपचार में भी कुछ परिवर्तन हुआ है और ये बेहतर हो गया है। क्योंकि आयोडीन की कमी के कारण आपकी थायरॉयड की भी समस्या कम होगी
ग्रेव्स रोग (जिसके कारण हाइपरथायरायडिज्म होता है) या हाशिमोटो रोग (जिसके कारण आपको हाइपोथायरायडिज्म भी हो सकता है) जैसे कि ऑटोइम्यून विकार में भी आपके शरीर में अपनी खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली पर, ये विशेष रूप से भी थायरॉयड ग्रंथि पर, आक्रमण होगा .
थायराइड रोग में भी बैक्टीरिया या आपके वायरस के कारण आपको सूजन होगी।
- Benign गांठ( Benign Growth)
- कैंसर या ट्यूमर ( Cancer)
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
- थायरॉयड सर्जरी ( Thyroid Surgery)
- जीवनशैली संबंधी विकार ( Lifestyle Disorders)
कभी-कभी, आप गर्भावस्था में भी शरीर के संतुलन में Problem पैदा हो सकते हैं और इससे भी थायरॉयड की समस्या हो जाएगी।
थायराइड हार्मोन की सामान्य सीमा ( Normal Range of Thyroid in Hindi)
आपके शरीर में T3, T4, TSH के मूल्य आपके शरीर में कितनी होनी चाहिए नीचे टेबल में देखें:
थायराइड हार्मोन के प्रकार |
सामान्य श्रेणी (Normal Range) |
टीएसएच (TSH) |
0.5-0.45 mlU/L |
कुल टी4 (Total T4) |
5.4-11.5 mcg/dl |
निःशुल्क टी4 ( Free T4) |
0.7-1.8 ng/dl |
कुल T3 ( Total T3) |
80-220 ng/dl |
निःशुल्क टी3 ( Free T3) |
260-480 pg/dl |
थायराइड का उपचार और इलाज ( Treatment of Thyroid)
अगर आप थायरॉइड की सर्जरी करवाते हैं तो आप 5 से 6 दिन के अंदर-अंदर काम पर वापस जा सकते हैं लेकिन ये ध्यान में रखे के किसी भी आक्रामक गतिविधि को आगे बढ़ाने से पहले आपको 10-14 दिनों का इंतजार करना चाहिए
ओवरएक्टिव थायराइड के लिए ( Overactive Thyroid )
ये भी जाने थायराइड कितने दिन में ठीक हो जाता है ?
जब आप डॉक्टर से सलाह लिखवाते हैं तो जो आपका अधिक बनने वाले भी थायॉयड हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित कर पाते हैं। आम तौर पर, ये भी देखा गया है, अगर आपका इलाज के लिए भी अच्छा फीडबैक दिया गया है और ये आपके हार्मोन का प्रोडक्शन कंट्रोल हो जाएगा, तो वे आपकी दवाओं का भी सेवन बंद कर देंगे। अधिक टार हार्मोन बनने के लिए प्रोडक्शन को ये नियंत्रित करने में भी वैदिक सर्जरी होगी तो आप थायरॉयड सर्जरी को अंतिम उपाय माने।
अंडरएक्टिव थायरॉयड के लिए (Underactive Thyroid)
इस स्थिति में ये देखा गया है कि उम्र भर इसका इलाज करना जरूरी है। ओरल मेडिसिन से आपका इंजेक्शन थायरॉयड हार्मोन में है और बहुत उपयोगी हो जाएगा। आम तौर पर लोगों में आपका स्वास्थ्य बढ़ता है और साथ में थकान भी ज्यादा होती है, ये दवाएँ आपके मानसिक स्वास्थ्यवर्धक को भी दूर कर देती हैं।
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निष्कर्ष
थायरॉइड भी परेशान करने वाली बीमारी है, जो महिलाओ में ज्यादा तर देखी गई है, उसे कंट्रोल करने के लिए आपको शुरुआती उत्पाद- थायरॉइड के हाय मरीज़ों में शामिल करना चाहिए। आप दूध, दही, पनीर और अन्य मसाला उत्पादों का सेवन कर सकते हैं। ये देखा गया है कि इससे आपके शरीर में भी कैल्शियम, विटामिन, फ्लेवर और उम्र के दूसरे पोषक तत्व मिलेंगे। आप मुलेठी खा सकते हैं, इसे कंट्रोल करने के लिए।
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